अन्धो में काणा राजा
एक बिरामण भोलेनाथ
ने भक्ति सु खुश कर दियो | बोलेनाथ बिरामण ने संख रो इनाम दियो | संख री विशेषता
ही की अगर तू इण ने बजा’र जो
चीज मांगेला वा थने जरुर मिलेला लेकिन गावं रा आड़ोस-पोडोस ने वैएज चीज दो मिल
जावेला |
आ सुन बिरामण ने इरिषा पैदा हुई की मने एक चीज
और गावं आला ने दो-दो चीज मिलेला तो बिरामण , घर में आपरी ओरत ने के दियो की ओ संख
किन ने ही नहीं बजावन देनो | गाँव रा लोगा ने इन रो फायदों लेनो हो तो वे बिरामनी
ने मोको देख र सब कुछ समझाय दीयो के, संख सु थारे जितनी भी चीज चाहिए वे मिल
जावेला अर गाँव आला रो भी भलो हो जाय
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गाँव आला
लोग बिरामनी सु संख बजायर महल,एक गाय,एक भेंस,एक घोड़ो,एक हाथी घर पर मांग लियो तो
पुरे गाँव रे ऐ चीज वरदान रे कारन दोगुनी बन गयी |
घर पर बिरामण
आयो और देखतो ही बिरामनी सु कहियो की संख बजा ने थू काई कर दियो आपने नुकसान हुयो है
| बिरामण संख बजार एक आंख फुट जावे रो कहियो थोड़ी देर में तो पुरे गावं वालों री
दोन्यू आख्या फुट गई और पुरो गावं अन्धो हो गियो पर बिरामण काणा ही रह्या | जो कम सु कम चीज ने देख सकतो॒ | वो बिरामण अन्धो में काणा राजा केवीजातो |
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