बरनेल का इतिहास
बरनेल परबतसर शहर से
40कि.मी बस्सा
एक छोटा सा गाँव है | मेडतिया राठौडो (केसवदासोत) यहा रहते है | यह गाँव श्री गुमान
सिंह राठौड ने बसाया था | श्री गुमान सिंह
राठौड ने गाँव कवलाद से आकर गाँव बरनेल पर अधीकार किया | श्री गुमान सिंह राठौड के
पिताजी श्री किशन सिंह जी ठिकाणा सबलपुर
के पुत्र व पृथ्वी सिंह ठिकाणा बोरावड के पोत्र थे | श्री गुमान सिंह राठौड
कि माताजी श्रीमती उदय कंवर राजावत (चितावा) थी |
8 मई
1750 में श्री गुमान सिंह राठौड व राजाधिराज बरवत सिंह जी नागौर के बीच
झगड़ा हुआ था | जिस कारण राजाधिराज बरवत सिंह ने महाराज राम सिंह जी के साथ मिल कर
अपनी सेना तेयार कि श्री गुमान सिंह राठौड को धुल मे मिलाने के लिये | राजाधिराज
बरवत सिंह व महाराज राम सिंह जी ने अपनी सेना के साथ रिया बड़ी पर हमला किया | दोनों सेना में घमासान युद्ध हुआ जिसमे श्री
गुमान सिंह राठौड व अन्य मेडतिया योद्धाओं ने दुश्मनो को मार भगाया | इस युद्ध मे
श्री गुमान सिंह राठौड घायल होने पर भी दुश्मनो से मुकाबला करते रहे अन्त मे
दुश्मनो को मुह कि खानी पड़ी | श्री गुमान सिंह राठौड व उनके भतीजे चतर सिंह जी इस
युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए | झुंझार गुमान सिंह जी का चबूतरा रिया बड़ी व
बरनेल मे बनवाया गया | रिया बड़ी का चबूतरा क्षतीग्रस्त होने पर 23 अप्रेल 2012 को चबूतरे का पुनः निर्माण कर देवली पर छतरी
बनाई गई | तब से ये गाव आज भी अपने पूर्वजों कि पूजा पाठ जागरण करवाता रहता है |
गाव मे कई प्राचीन मंदिर, शिलालेख मोजूद है | गाव के बीच मे एक बरगद का पेड़ लगा है
छोटी मोटी दुकाने है जो गाव का सोंदर्य बढ़ाते है
|
गाव से थोडा बहार कि और शहीद
गोपाल सिंह राजावत का स्मारक बनवाया गया है | शहीद गोपाल सिंह राजावत 2 जून 2002 को कारगिल के मिशन
मे दुश्मनो से मुकाबला करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए
BY: Yogendra Singh Rathore (Rahul)
गुमान सिंह जी कंवलाद से नहीं सबलपुर से आए थे।
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