Wednesday, 30 October 2013

Barnel (Parbatsar) History | Rajput village Barnel Parbatsar History | बरनेल का इतिहास


बरनेल का इतिहास


बरनेल परबतसर शहर से  40कि.मी बस्सा एक छोटा सा गाँव है | मेडतिया राठौडो (केसवदासोत) यहा रहते है | यह गाँव श्री गुमान सिंह राठौड ने बसाया था |  श्री गुमान सिंह राठौड ने गाँव कवलाद से आकर गाँव बरनेल पर अधीकार किया | श्री गुमान सिंह राठौड के पिताजी श्री किशन सिंह जी ठिकाणा सबलपुर  के पुत्र व पृथ्वी सिंह ठिकाणा बोरावड के पोत्र थे | श्री गुमान सिंह राठौड कि माताजी श्रीमती उदय कंवर राजावत (चितावा) थी |




8 मई  1750 में श्री गुमान सिंह राठौड व राजाधिराज बरवत सिंह जी नागौर के बीच झगड़ा हुआ था | जिस कारण राजाधिराज बरवत सिंह ने महाराज राम सिंह जी के साथ मिल कर अपनी सेना तेयार कि श्री गुमान सिंह राठौड को धुल मे मिलाने के लिये | राजाधिराज बरवत सिंह व महाराज राम सिंह जी ने अपनी सेना के साथ रिया बड़ी पर हमला किया | दोनों सेना में घमासान युद्ध हुआ जिसमे श्री गुमान सिंह राठौड व अन्य मेडतिया योद्धाओं ने दुश्मनो को मार भगाया | इस युद्ध मे श्री गुमान सिंह राठौड घायल होने पर भी दुश्मनो से मुकाबला करते रहे अन्त मे दुश्मनो को मुह कि खानी पड़ी | श्री गुमान सिंह राठौड व उनके भतीजे चतर सिंह जी इस युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए | झुंझार गुमान सिंह जी का चबूतरा रिया बड़ी व बरनेल मे बनवाया गया | रिया बड़ी का चबूतरा क्षतीग्रस्त होने पर 23 अप्रेल 2012  को चबूतरे का पुनः निर्माण कर देवली पर छतरी बनाई गई | तब से ये गाव आज भी अपने पूर्वजों कि पूजा पाठ जागरण करवाता रहता है |



गाव मे कई प्राचीन मंदिर, शिलालेख मोजूद है | गाव के बीच मे एक बरगद का पेड़ लगा है छोटी मोटी दुकाने है जो गाव का सोंदर्य बढ़ाते है


गाव से थोडा बहार कि और शहीद गोपाल सिंह राजावत का स्मारक बनवाया गया है | शहीद गोपाल सिंह राजावत 2 जून 2002 को कारगिल के मिशन मे दुश्मनो से मुकाबला करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए





BARNEL MAP       
BY: Yogendra Singh Rathore (Rahul)
                                              


                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                     










1 comment:

  1. गुमान सिंह जी कंवलाद से नहीं सबलपुर से आए थे।

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